A film is a factory

Currently sitting at a production house in Mumbai. Serving as the third assistant director handling picture vehicles, juniors and clap-board.

The guiding light in this room is motivating me towards greater things in life. 


Photo by Shivendu Shukla on Unsplash

हम लोग एक नामी लेखक एवं निर्माता की अगली फिल्म पर काम कर रहे हैं। इस फिल्म पर मैं पिछले एक महीने से काम कर रहा हूँ और मुझे काफी मज़ा आ रहा है। शुरुवाती दिनों मे थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन अब सबके साथ हसी मज़ाक चलता रहता है। कभी कभी कुछ चीजों पर मेरी डांट भी पड़ती है, पर सही डांट पड़ती है। मैं कुछ न कुछ सीखता ही हूँ और कोशिश यही रहती है कि गुस्सा हमेशा नियंत्रण मे रहे, साथ ही किसी पर भी चिल्ला कर बोलना या आवाज ऊंची करना कम से कम रहे। 

चिल्लाने से सभी लोगों का ध्यान उस ओर जाता है और सभी का काम रुक जाता है क्योंकि आपके मन मे कुछ खटका है। हाँ, आप अगर सही हैं और कोई आपको गलत ठहरा रहा है तो इंसान क्या करे, तब भी शांति को दीवार बना कर सामने कई लोग खड़े रहते हैं, मैं भी उन्ही लोगों की गिनती मे शामिल होने की अटूट कोशिश करता ही रहता हूँ। पर ये मानसिक रूप से थोड़ा कठिन होता है। शक्ति इस प्रकार की होनी चाहिए कि अगर गलती हो भी गई हो तो अब ऊर्जा उस अर्चन को सुलझाने मे लगनी चाहिए। 

फिल्म बनाना आसान काम नहीं है, और हम सब एक अच्छी फिल्म बनाने की ही कोशिश करते हैं, पूरे मन और तन की लग्न के साथ। 

मात्राओं मे गलती हो तो माफ करें, जीवन की गति अभी नॉन-स्टॉप राजधानी की तरह हो गई है।

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