चल रहा है बस..
Photo by Cristofer Jeschke on Unsplash रात के पौने दो बज रहे हैं और मैं जग रहा हूँ। ऐसा बहुत दिनों बाद हो रहा है। कारण? मैं फिल्म बना रहा हूँ। एक शॉर्ट फिल्म ही है फिलहाल तो, लेकिन इसको लेकर जो अरमान हैं वो शॉर्ट नहीं। मैं चाहता हूँ इस बार मेरी जनता जो देखे, उसका कण-कण उन्हें लुभाए। मैं काफी मेहनत कर रहा हूँ इस दफा। तन्मय और रजत जो कि मेरे स्कूल के मित्र हैं, उन्होंने मेरा खुली बाहों के साथ स्वागत किया अपने छोटे से घर जैसे ऑफिस में। यहाँ जो कोई आता है, वो ख़ुशी लेकर जाता है। तन्मय अपने भाई की देख रेख भी करता है और आपको हसाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता। हम लोग तन्मय के ही घर पर मेरी अगली फिल्म या यूँ कहूं कि हमारी अगली फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। शॉट डिवीज़न से लेकर स्टोरीबोर्डिंग सब पर भली भाँती काम चल रहा है। रजत ने आशीष दोभल जी से मिलवाया। ये फाइन ट्यून्ड नाम की कंपनी चलाते हैं। इनका भी काफी बड़ा हाथ रहा है इस फिल्म को हकीकत बनाने में। अभी बनी नहीं है लेकिन बन जानी चाहिए। पैसा लगेगा... जहाँ तक है मुझे ऐसा लगता है २५ हज़ार तक की धन राशि जुटानी पड़ेगी। कोई आईडिया नही है पैसे कहा...